चांडिल डैम परियोजना से आंशिक और पूर्ण रूप से विस्थापित हुए लोगों की समस्याओं का समाधान नहीं होने पर मनोहर महतो आदित्यपुर सुवर्णरेखा भवन के सामने आमरण अनशन पर बैठ गए हैं। अगर उनकी मांगों को यूं ही अनदेखा किया जाता रहा तो बाकी विस्थापित भी आमरण अनशन पर बैठने को मजबूर होंगे।

मनोहर महतो ने बताया कि इससे पहले मांगों को लेकर चार बार आमरण अनशन पर बैठे थे लेकिन आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला। उन्हें न विकास पुस्तिका और न ही उचित मुआवजा मिला है। इस बार समाधान नहीं होने पर यहीं जान दे दूंगा। वहीं विस्थापितों ने बुधवार को सुवर्णरेखा परियोजना के अपर निदेशक से मिल अपनी मांगों से उन्हें अवगत कराया। अनशनकारियों ने बताया कि वे अपनी मांगों को लेकर 17 सालों से आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हो रहा है।