कन्नम पोंगल के साथ ही कदमा नागरकोट में चार दिवसीय पोंगल पर्व के समापन हुआ। कालोनी की महिला, पुरुष व बच्चों ने इसे पारंपरिक तरीके से हर्षोल्लास से मनाया। श्यामला ने कहा कि पोंगल पर्व को चार दिन तक अलग-अलग रूप में मनाया जाता है। इस त्योहार का पहला दिन भोगी पोंगल के रूप में मनाया जाता है। इस दिन इंद्र देव को खुश करने के लिए पूजा की जाती है। पोंगल पर्व के दूसरे दिन को सूर्य पोंगल, तीसरे दिन मात्तु पोंगल और चौथे दिन को कन्नम पोंगल के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि सूर्य के उत्तरायण होने पर जिस प्रकार उत्तर भारत में मकर संक्रांति मनाई जाती है। उसी प्रकार दक्षिण भारत में पोंगल पर्व मनाया जाता है। पारंपरिक रूप से ये पर्व संपन्नता का प्रतीक माना जाता है, जिसमें समृद्धि लाने के लिए वर्षा, धूप और खेतिहर मवेशियों की आराधना की जाती है। इसमें इसमें श्यामला, लीना, मधु, लल्ली, स्वाति, सुधाकर, विजया, रंजीता, सुपु, डी सिनु समेत कई अन्य शामिल हुए।