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गम्हरिया श्मशान काली मंदिर को बचाने के लिए हजारों ग्रामीण एकजुट हो लिया संकल्प, मंत्री ने कहा श्मशान की जमीन पर नहीं लगेंगे उद्योग धंधे

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आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र अंतर्गत गम्हरिया श्मशान काली मंदिर की जमीन को जियाडा द्वारा स्थानीय उद्योग को आवंटित किए जाने के विरुद्ध ग्रामीणों द्वारा लगातार विरोध किया जा रहा है। इसी कड़ी में सोमवार को शमशान बचाओ भूमि बचाओ नारे के साथ एकजुट हुए ग्रामीणों ने श्मशान काली जमीन बचाने का संकल्प लिया।‌ मुख्य रूप से मौजूद मंत्री चंपई सोरेन ने ग्रामीणों को आश्वस्त कर कहा कि किसी भी सूरत में शमशान की जमीन पर उद्योग-धंधे नहीं लगेंगे। उन्होंने कहा कि सामाजिक व्यवस्था से छेड़छाड़ बर्दास्त नहीं किया जाएगा। कहा वर्षों से ग्रामीण यहां पूर्वजों के शव का अंतिम संस्कार करते आ रहे हैं। ऐसे में पारंपरिक इस जमीन को बचाना अति आवश्यक है।

सामाजिक व्यवस्था के तहत शमशान का होना अति आवश्यक है। स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा देने में ग्रामीण का भी योगदान है। उद्योग-धंधे बढ़ रहे हैं लेकिन स्थानीय वंचित हैं। मंत्री ने कहा कि झारखंड सरकार की नीति के तहत स्थानीय उद्योगों में अब 75% स्थानीय को रोजगार देना अनिवार्य कर दिया गया है। जियाडा क्षेत्रीय निदेशक प्रेम रंजन ने कहा कि 1988 में बिहार सरकार के वक्त जमीन उद्योग को आवंटित की गई थी जिसे जनहित में रद्द किया जाएगा। उन्होंने कहा कि उद्योग भी स्थानीय को लेकर चलेंगे। जनसभा में गम्हरिया बीडीओ मारुति मींज, सीओ मनोज कुमार समेत हजारों की संख्या में ग्रामीण शामिल हुए।

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