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विद्यालयी शिक्षण व्यवस्था में क्रियात्मक अनुसंधान की है अहम भूमिका : डॉ. त्रिपुरा झा

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जमशेदपुर महिला विश्वविद्यालय की इग्नू बी.एड प्रोग्राम की कार्यशाला-2 के सातवें दिन इग्नू की समन्वयक डॉ. त्रिपुरा झा ने प्रार्थना सभा के साथ प्रथम सत्र में चारों सत्र का विषय प्रवेश कराते हुए ‘मुक्त एवं दूरस्थ शिक्षा’ और ‘क्रियात्मक अनुसंधान’ पर संक्षेप में प्रकाश डाला।प्रथम और द्वितीय सत्र में संसाधन सेवी के रूप में महिला बी.एड कॉलेज चाईबासा में सहायक प्राध्यापिका डॉ. अर्पित सुमन टोप्पो, जमशेदपुर को-ऑपरेटिव कॉलेज में सहायक प्राध्यापक श्री अजीत कुमार दुबे और श्रीमती नेहा सुरुचि मिंज ने क्रमशः मुक्त एवं दूरस्थ शिक्षा, मार्गदर्शन एवं परामर्श और सूचना एवं संप्रेषण प्रौद्योगिकी विषय पर शिक्षार्थियों संग गहन चर्चा करते हुए शिक्षण में इनकी आवश्यकता और महत्व पर प्रकाश डाला। तीनों ही संसाधन सेवियों के सत्रों से विद्यार्थी लाभान्वित हुए।तृतीय और चतुर्थ सत्र की संसाधन सेवी रही डी.बी.एम.एस विद्यालय, जमशेदपुर की उप प्राचार्या डॉ. मोनिका उप्पल ने शिक्षार्थियों को ‘ क्रियात्मक अनुसंधान’ के निर्माण की बुनियादी जानकारी दी और शिक्षण में क्रियात्मक अनुसंधान की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।सत्र के दौरान सभी शिक्षार्थियों द्वारा बनाए गए प्रतिवेदन की जांच की गई। डॉ. उप्पल ने शिक्षार्थियों द्वारा निर्मित क्रियात्मक अनुसंधान के प्रतिवेदनों की जांच करते हुए मूल्यवान सुझाव दिए और मार्गदर्शन किया।चतुर्थ सत्र में जमशेदपुर महिला विश्वविद्यालय के कल्चरल व स्पोर्ट्स, चेयरमैन और स्टेट ऑफिसर डॉ. सनातन दीप भी उपस्थित रहे। उन्होंने शिक्षार्थियों को शिक्षण को बेहतर बनाने हेतु प्रेरित किया और बताया कि जमशेदपुर महिला विश्वविद्यालय पूर्ण रूप से शिक्षण व्यवस्था को संसाधनपूर्ण बनाने हेतु प्रतिबद्ध है।कार्यशाला को सफल बनाने में नेहा सुरुचि मिंज और उपेंद्र शर्मा समेत सभी संसाधन सेवियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
*राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का सत्रावसान हुआ। कार्यशाला में शिक्षक, छात्राएं, छात्र, संसाधन सेवी उपस्थित रहे।

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