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दिल्ली फतेह करने तथा पूर्वी भारत में समावेशी हिस्सेदारी का संदेश देने के लिए भारतीय जनता पार्टी जमशेदपुर पूर्व विधानसभा को चाहती है साधना

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जमशेदपुर। दिल्ली फतेह करने तथा पूर्वी भारत में समावेशी हिस्सेदारी का संदेश देने के लिए भारतीय जनता पार्टी जमशेदपुर पूर्व विधानसभा को साधना चाहती है। भाजपा चुनाव प्रभारी तथा नेतृत्व यहां से किसी सिख नेता को स्थापित करना चाहते हैं जो राष्ट्रीय फलक पर अपनी विशिष्ट पहचान से पार्टी को लाभ दिला सके और पूर्वी भारत में अल्पसंख्यक सिखों की आवाज बन सके। पार्टी सिख नेता की कमी से जूझ रही है। लोकसभा के पूर्व प्रोटेम स्पीकर और झारखंड विधानसभा के प्रथम अध्यक्ष इंदर सिंह नामधारी उम्र के इस पड़ाव में है और लगभग राजनीतिक रूप से सक्रिय भूमिका नहीं निभा सकते हैं। आसनसोल से तेज तर्रार नेता एसएस अहलूवालिया हार चुके हैं जो कभी राजीव गांधी ब्रिगेड का हिस्सा हुआ करते थे और फिर आडवाणी के खासमखास रहे। वह भी 70 वर्ष की आयु पार कर चुके हैं अब ऐसे में भाजपा को उम्मीद जमशेदपुर से है। जमशेदपुर में कई सिख नेता भाजपा में है और भीतर ही भीतर इनकी स्क्रुटनी चल रही है। इन सिख नेताओं को लेकर भीतर भीतर सर्वे भी चल रहा है कि किस सिख नेता को जमशेदपुर पूर्व विधानसभा क्षेत्र से लड़ाया जाए। जमशेदपुर पूर्व भाजपा का गढ़ है, लेकिन गत विधानसभा चुनाव में उस समय के मुख्यमंत्री रघुवर दास को भाजपा के विद्रोही नेता सरयू राय ने हरा दिया। रघुवर दास की हार का ठीकरा अमरप्रीत सिंह काले, संजीव सिंह, रतन महतो आदि पर फोड़ा गया और उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।पार्टी उस हार को भूली नहीं है और उसने विधायक सरयू राय तथा निष्कासित नेताओं के लिए दरवाजे बंद रखे हैं। भाजपा नेतृत्व परिवारवाद के आरोप से बचने के लिए उड़ीसा के राज्यपाल रघुवर दास के रिश्तेदारों को टिकट देने से परहेज करेगा, परंतु प्रत्याशी देने के मामले में रघुवर खेमे को नाराज नहीं करना चाहता है।अब यहां सवाल उठ रहा है कि भाजपा का कौन सिख चेहरा हो सकता है।रघुवर खेमे से सिख नेता के तौर पर सतबीर सिंह सोमू कुलवंत सिंह बंटी का नाम उभर कर सामने आ रहा है परंतु कुलवंत सिंह बंटी चूंकि केशधारी नहीं है और ऐसे में वे भाजपा के उसे पैमाने से बाहर हो जा रहे हैं जो उन्होंने दिल्ली और पूर्वी भारत के लिए सेट कर रखे हैं। भाजपा नेतृत्व हर हाल में अगला दिल्ली का चुनाव फतेह करना चाहता है और वहां सिख हार जीत तय करते हैं।पंजाब के मुख्यमंत्री शहीद बेअंत सिंह के पोते रवनीत सिंह बिट्टू भाजपा में शामिल होकर रेल राज्य मंत्री बने हुए हैं और फायर ब्रांड के रूप में पहचान बना रहे हैं। अकाली दल के नेता मनजिंदर सिंह सिरसा पार्टी के केंद्रीय सचिव बनाए गए हैं और दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी अकाली दल से अलग होकर अपना संगठन उन्होंने बना लिया है। भाजपा दिल्ली के सिखों को यह भरोसा दिलाना चाहती है कि सिखों की सबसे बड़ी हितैषी भाजपा है।सरदार सोमू विशुद्ध रूप से सिख नजर आते हैं और सिख राजनीति में भी सक्रिय हैं। सेंट्रल सिख नौजवान सभा के प्रधान रह चुके हैं और कई सिख एवं सामाजिक व्यापारिक संगठनों से जुड़े हुए हैं। रघुवर दास खेमे से हैं, राहुल गांधी को काला झंडा दिखाकर लाठी खाकर चर्चा में रहे हैं, भाजपा के प्रत्येक आंदोलन में वे सिख चेहरे के रूप में नजर आते रहे हैं।एक जानकारी के अनुसार प्रदेश भाजपा संगठन प्रभारी प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, सांसद विद्युत वरण महतो, भाजपा जिला अध्यक्ष सुधांशु ओझा एवं प्रमुख नेताओं से सरदार सतबीर सिंह सोमू का फीडबैक चुनाव प्रभारी केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं प्रभारी तथा असम के मुख्यमंत्री हेमंता विश्वकर्मा ने लिया है।अब देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी यदि सिख चेहरे को मैदान में उतारती है तो वह स्थानीय सतबीर सिंह सोमू होंगे अथवा किसी बाहरी सिख नेता को मैदान में लाया जाएगा।

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