
जमशेदपुर। शनिवार को ‘प्रांतीय प्रधानाचार्य बैठक (श्रेणी ‘सी’ एवं ‘डी’ विद्यालय)’ का शुभारंभ किया गया। प्रथम दिन की बैठक चार सत्रों में संपूर्ण की जाएगी। बैठक का शुभारंभ मुख्य अतिथि ख्याली राम (क्षेत्रीय संगठन मंत्री), विशिष्ट अतिथि अजय तिवारी (प्रदेश सचिव), अरविन्द कुमार सिंह (संकुल संयोजक)विद्यालय के अध्यक्ष भोला कुमार मंडल, सचिव अरविन्द पाण्डेय एवं प्रधानाचार्य अभिलाष गिरी ने वंदना स्थल पर दीप प्रज्वलन एवं पुष्पार्जन कर किया। तत्पश्चात प्रधानाचार्य ने मंचासीन अतिथियों का परिचय कराया। प्रदेश

सचिव अजय तिवारी ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानाचार्य सम्मेलन वर्ष में दो बार होता है जिसमें समीक्षा की जाती है कि क्या खोया क्या पाया।आप सभी जामवंत के सदृश आदर्श हैं, जिस प्रकार जामवंत के प्रयास से हनुमान जी को अपनी शक्ति का ज्ञान हुआ था उसी प्रकार हमें भी भैया/बहनों के शक्ति को उजागर करना है।आप अपने कार्ययोजना और प्रयास से विद्यालय को ‘ए’ श्रेणी तक ला सकते हैं जरूरत है सही मार्गदर्शन की।मुख्य अतिथि ख्याली राम ने संबोधित करते हुए कहा कि प्रथम शिशु मंदिर की स्थापना 1952 में गोरखपुर में हुआ था। विद्या भारती का गठन 1977 में हुआ था, जिसके अंतर्गत सरस्वती शिशु विद्या मंदिर कार्य कर रहा है। हमारा कर्तव्य है भैया/बहनों को अपने संस्कृति के जड़ से जोड़ कर रखना तभी वो ऊंचाइयों को प्राप्त करेंगे जिस प्रकार पतंग की डोर हमारे हाथ में रहती है तो वो ऊंचाइयों को प्राप्त करता है और डोर छुटते ही वो अपनी जड़ से कटकर विनाश को प्राप्त करता है, उसी प्रकार हमारे बालक भी मूल से कटकर विनाश को प्राप्त करेंगे। उन्होंने प्रधानाचार्य को बताया कि किस प्रकार कार्ययोजना बनाकर कार्य करें कि विद्यालय प्रगति करे। बैठक में विभाग के विभाग प्रमुख तुलसी प्रसाद ठाकुर (जमशेदपुर), सुरेश मंडल (देवघर), विवेक नयन पांडेय (धनबाद),ओम प्रकाश सिन्हा (हजारीबाग), रमेश कुमार (साहेबगंज), अखिलेश कुमार (गुमला) उसके अतिरिक्त राजेश कुमार (क्षेत्रीय घोष प्रमुख), मनोज भारद्वाज (विद्या विकास समिति के कार्यालय प्रमुख), विद्यालय के उपाध्यक्ष वी.जयशंकर, सह सचिव राजेश कुमार ठाकुर, समिति सदस्य अजय प्रजापति एवं भारती शर्मा, अभिभावक प्रतिनिधि ममता श्रीवास्तव,स.शि.वि.मं. शास्त्री नगर के अधयक्ष श्याम किशोर सिन्हा एवं सचिव अरूण कुमार सिंह, और (‘सी एवं डी’ श्रेणी विद्यालय) के 86 प्रधानाचार्य उपस्थित थे।