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कांड्रा: सोमा प्रमाणिक सिलाई सेन्टर में केक काटकर धूम धाम से मनाया गया शिक्षक दिवस, गुरु के बताए मार्ग पर चलने से मिलती है सफलता:सोमा प्रमाणिक,देखें:VIDEO

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कांड्रा पंचायत अंतर्गत पुराना पोस्ट ऑफिस स्थित सोमा प्रमाणिक सिलाई सेंटर में शिक्षक दिवस धूमधाम से मनाया गया. सर्व प्रथम सिलाई सेंटर की संचालिका सोमा प्रमाणिक ने अपनी गुरु स्वर्गीय जयंती पॉल की प्रतिमूर्ति पर पुष्प चढ़ाकर श्रद्धांजलि अर्पित की.
इसके पश्चात सोमा प्रमाणिक ने केक काटकर शिक्षक दिवस मनाया. इस दौरान सिलाई सेंटर के बच्चे काफी खुश दिखे.इस अवसर पर सोमा प्रमाणिक सिलाई सेन्टर की संचालिका सह जेएसएलपीएस कर्मी ने कहा कि अध्यापक ही होता है, जो बच्चें के मनोभाव को पहचानता है.

मां-बाप से कही ज्यादा प्रशिक्षक बच्चों को समझते है, क्योंकि दिन के आधे हिस्से में से वही उनके साथ अधिक रहते हैं. एक प्रशिक्षक हो देश का निर्माता होता है. प्रशिक्षक एक आम बच्चे को कल का नेता, डॉक्टर , वकील, इंजीनियर आदि बनाता है.उनके दिशा निर्देशों पर ही चल कर बच्चें अपनी मंजिल को पा सकते है, बिना गुरु के कोई भी अपनी मंजिल तक नहीं पहुंच सकता है.संचालिका सोम प्रमाणिक ने कहा कि वैसे तो शिक्षक दिवस सभी देशों में अलग-अलग तिथि को मनाया जाता है, लेकिन भारत में पांच सितंबर डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन के अवसर पर मनाया जाता है. जो एक शिक्षक होते हुए भारत के प्रथम उप राष्ट्रपति एवं द्वितीय राष्ट्रपति भी थे. भारत में बहुत सारे महान लोग है, पर डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिन पर ही क्यों मनाया जाता है, क्योंकि वे बच्चों से बहुत प्यार करते थे.वहां मौजूद छात्र छात्राओं ने गुरु शिष्य के परंपरा को निभाने और एक अच्छे शिक्षक की तरह छात्रों ने प्रण किया कि वो अपने आस पास रहने वाले अशिक्षित, भटके हुए छात्रों को सही राह दिखाने एवं एक अच्छे इंसान बनने की प्रेरणा देंगे.

क्यों मनाया जाता है शिक्षक दिवस? आखिर क्या है इसके मायने :

प्रथम उप-राष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ० सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती 5 सितंबर को होती है. उन्हीं की याद में हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है. एक बार उनके कुछ विद्यार्थी और दोस्तों ने उनसे कहा कि, वह उनके जन्मदिन को सेलिब्रेट करना चाहते हैं तब उन्होंने कहा था, “मेरा जन्मदिन अलग से मनाने के बजाए अगर मेरा जन्मदिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए तो मुझे गर्व महसूस होगा .” सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारतीय संस्कृति के संवाहक, प्रख्यात शिक्षाविद और महान दार्शनिक थे. डॉ० सर्वपल्ली राधाकृष्णन को 27 बार नोबेल पुरस्कार के लिए नामित किया गया था. 1954 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया.

इस बीच मुख्य रूप से सिलाई सेंटर की संचालिका सह जेएसएलपीएस सोमा प्रमाणिक, श्री कुमारी, ममता, नीता महतो,जयंती महतो, रानी गोराई, चांदनी कालिंदी, रितु, रिंकी, संगीता महतो,मंजू शर्मा उपस्थित रही.

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