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कपड़े पर जीएसटी स्लैब ₹2500 से ₹5000 तक बढ़ाने एवं 12% जीएसटी लागू किया जाए- सुरेश सोंथालिया

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जमशेदपुर 26 सितंबर
कैट के राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री सुरेश सोंथालिया ने वित मंत्री श्रीमति निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर बताया कि अगली पीढ़ी के GST सुधार स्वंतन्त्र भारत के सबसे क्रांतिकारी कर सुधारो में से एक है जिनका उद्देश्य छोटे व्यापारियों को सशक्त करना उपभोक्ता का विश्वास बढ़ाना और देश की अर्थव्यवस्था को 10 ट्रिलियन डॉलर की दिशा में अग्रसर करना ।
कैट के सदस्यों और क्षेत्र के लोकप्रिय सांसद विद्युत वरण महतो जी के साथ बाज़ारो का भ्रमण कर उपभोक्ताओ से जानने की कोशिश हुई कि जीएसटी संशोधन का उपभोक्ताओ को कितना लाभ मिल रहा है ।
सभी ने जीएसटी संशोधन पर प्रसन्ता व्यक्त की लेकिन वस्त्र उपभोगताओं और वस्त्र विक्रेताओं ने ख़ुशी जताई लेकिन दर्द भी बया किया ।
वर्तमान में ₹2500 तक के वस्त्रों पर 5% जीएसटी तथा ₹2500 से ऊपर के वस्त्रों पर 18% जीएसटी लगाया जा रहा है। यह व्यवस्था छोटे एवं मध्यम वर्गीय उपभोक्ताओं तथा कपड़ा उद्योग से जुड़े व्यापारियों के लिए व्यावहारिक कठिनाइयाँ उत्पन्न कर रही है।
वस्त्र उद्योग भारत का परंपरागत व रोजगार देने वाला उद्योग है । कपड़े और सूता में अलग अलग स्लैब की जटीलता व्यापारियों के लिए बोझिल हो रही है यदि स्लैब की दर एक की जाए तो व्यापार सुगम होगा और ईज ऑफ़ डूइंग बिज़नेस को बढ़ावा मिलेगा ।
कैट का सुझाव है कि ₹2500 की वर्तमान सीमा को बढ़ाकर ₹5000 किया जाए एवं ₹5000 से अधिक के वस्त्रों पर 12% की दर से जीएसटी लगाया जाए। ऐसा करने से—

  1. मध्यम वर्गीय ग्राहकों को राहत मिलेगी।
  2. वस्त्र उद्योग को बढ़ावा मिलेगा।
  3. कर संग्रह में वृद्धि संभव है क्योंकि अधिक लोग कर दायरे में आएँगे।
  4. छोटे दुकानदारों को कम जटिलता का सामना करना पड़ेगा।
    निवेदन है कि उपरोक्त सुझाव पर विचार कर आगामी बजट या जीएसटी परिषद की बैठक में इसे लागू करने हेतु आवश्यक कदम उठाएँ।

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