
जमशेदपुर। क़ौमी सिख मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता कुलबिंदर सिंह ने सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के तथाकथित प्रधान सरदार भगवान सिंह पर निशाना साधते हुए कहा कि मुझे सनातनी कह सीजीपीसी बैठक से बाहर किया था जबकि साकची गुरुद्वारा मैदान में उपस्थित सैकड़ो श्रद्धालु सिखों ने गुरुवार को देखा कि किस तरह से उन्होंने पंथिक मर्यादा और लोगों की भावना को चूर-चूर किया।
इस तथाकथित प्रधान ने जब से पदभार संभाला है। तभी से शहर के सिखों को शर्मिंदगी झेलनी पड़ रही है। गुरुद्वारा कमेटी में गुटबाजी तो करते ही हैं इन पर महिला ने दुष्कर्म जैसा गंदा आरोप भी लगा रखा है।
वास्तव में वे सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के भीतर एक गिरोह का संचालन कर रहे हैं। जो उनके हां में हां मिलाए, ठीक है, जो न कहे तो उनकी शामत आनी तय है।
कुलविंदर सिंह के अनुसार भगवान सिंह ने बिना पांच प्यारों के, बिना अरदास के कैसे, क्यों और किन परिस्थिति में पालकी साहब को आगे बढ़वाया और जूते पहन खुद स्टेरिंग पर बैठ गए। वह भी उस पालकी साहिब में, जिसमें शहीद बाबा दीप सिंह जी द्वारा हस्तलिखित श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी महाराज शोभायमान हैं, अर्थात अकालपुरख वाहेगुरु का जरा भी भय उन्हें नहीं है, वहां भी अपनी चौधराहट दिखानी जरुरी समझी। जबकि तख्त श्री हरमंदिर जी पटना साहिब के ग्रंथी सिंह साहब दिलीप सिंह, प्रबंधन कमेटी के महासचिव सरदार इंद्रजीत सिंह साकची गुरुद्वारा कार्यालय में तथा अन्य सिंह साहब और पांच प्यारे साकची गुरुद्वारा में लंगर ग्रहण कर रहे थे।
नतीजा सामने है श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी महाराज ने फौरन अपना कौतक दिखा दिया। पालकी साहब खराब हो गई और वहीं रुक गई।
उनके अंदर नैतिकता और शर्म है और पंथ के प्रति सम्मान है तो इस्तीफा देकर घर जाएं। जिसमें सेवा भाव नम्रता नहीं उसे क्षण भर पद पर बने रहने का अधिकार नहीं है।
कुलविंदर सिंह के अनुसार इसकी पूरी जानकारी लिखित रूप में श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार सिंह साहिब ज्ञानी कुलदीप सिंह गढ़गज को भेज रहे हैं तथा उनके शहर आगमन पर प्रतिनिधि मंडल के साथ मिलेंगे और उनके काले चिट्ठे खोलेंगे।