
जमशेदपुर । शहर के नर्सिंग होमो, अस्पताल एवं निजी क्लिनिको मे क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के नियमों का अनुपालन नहीं हो रहा है। इसकी उच्च स्तरीय जाँच की जानी चाहिए। उक्त बातें सामाजिक कार्यकर्त्ता एवं झारखण्ड मानवाधिकार संगठन के प्रमुख मनोज मिश्रा ने कहीं है। उन्होंने इसे लेकर क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट की देख रेख के लिए गठित जिला कमिटी के चेयरमेन सह उपायुक्त सत्यार्थी कर्ण को ज्ञापन सौपते हुए शहर के उन सभी स्वास्थ्य केन्द्रो ज़ो एक्ट के दायरे मे आते है, उनकी जाँच कराने की मांग की है। ज्ञापन की प्रतिलिपि राज्य कमिटी के को-ऑर्डिनेटर राहुल कु सिंह एवं राज्य कमिटी के नोडल पदाधिकारी सह स्वास्थ्य विभाग के उप सचिव डाक्टर विरेंद्र सिंह को भी सौपा गया है। मनोज मिश्रा ने बताया कि क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के नियमों का अनुपालन नहीं होने से गरीब जरुरतमंदो को इन स्वास्थ्य संस्थानों मे भारी भरकम शुल्क चुकाना पड़ता है और गुणवत्ता पूर्ण ईलाज से वंचित भी रहना पड़ता है। उन्होंने बताया कि इस दिशा मे मे 15 दिनों के भीतर कार्यवाही नहीं की गयी तो जमशेदपुर की जनता आंदोलन का रास्ता अख्तियार करेगी। उन्होने बताया कि स्वास्थ्य व्यवस्था समाज की सबसे बड़ी जरूरत है और यह नागरिकों का मौलिक एवं मानवाधिकार भी है। इसे लेकर सरकार ने ज़ब कानून बनाया है तो उसका अनुपालन भी होना जरुरी है।
मनोज मिश्रा ने शिकायत करते हुए आरोप लगाया है कि जिले के शहरी एवं ग्रामीण इलाकों मे बहुतायत संख्या मे मौजूद क्लिनिक, पॉली क्लिनिक, नर्सिंग होम्स, अस्पताल एवं पैथो लैब, क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के निर्धारित मापदंडो का अनुपालन जानबूझ कर नहीं कर रहे है। उल्लेखनीय है कि भारत सरकार द्वारा गठित सी ई एक्ट 2010 को झारखण्ड ने 2013 से लागू किया है। इस एक्ट के कारण सभी स्वास्थ्य संस्थानों को सरकार द्वारा निर्धारित गाईडलाइन का अनुपालन करना अत्यंत आवश्यक है जिसकी देख रेख के लिए जिले मे डीसी की अध्यक्षता मे एक कमिटी का गठन भी किया गया है, जिसमे डीसी को चेयरमेन एवं सिविल सर्जन को संयोजक नियुक्त किया गया है। एक्ट के नियमों के अनुसार सभी स्वास्थ्य संस्थानों को अपने संस्थान का निबंधन कराना अनिवार्य है। सभी स्वास्थ्य संस्थानों को अपने संस्थान के बाहर रेट चार्ट एवं संस्थान मे प्रदत सुविधा की जानकारी जनता के लिए साइन बोर्ड मे उपलबद्ध कराना अनिवार्य है। एक्ट का अनुपालन नही करने पर अधिकतम पाँच लाख तक का जुर्माना सम्बंधित स्वास्थ्य संस्थानों को चुकाना पड़ सकता है। मनोज मिश्रा ने बताया कि इस एक्ट के दायरे मे प्राइवेट क्लिनिक, पोली क्लिनिक, नर्सिंग होम्स, अस्पताल, पैथोलैब भी शामिल है। डीसी को ज्ञापन सोपने वालों मे मनोज मिश्रा के साथ किशोर वर्मा,सालावत महतो, एस के बसु, हरदीप सिद्दू, ऋषि गुप्ता, श्याम लाल, निभा शुक्ला, संतोष कुमार रिया बनर्जी, जय प्रकाश, गुरूमुख सिंह सहित काफ़ी संख्या मे सदस्य उपस्थित थे।