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आध्यात्मिक अनुपालन एवं कुसंस्कारों के विरोध में संग्राम से ही शांति संभव है- : आनन्दमार्ग

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जमशेदपुर:

आनन्द मार्ग प्रचारक संघ के तत्वावधान में गदरा आनंद मार्ग जागृति में निरीक्षण समीक्षा और संघठनात्मक एकजुटता शिविर के प्रथम दिन
मार्ग गुरुदेव सद्गुरू श्री श्री आनंदमूर्ति जी के प्रतिकृति पर माल्यार्पण के साथ शुरू हुआ।
शिविर में उपस्थित साधक- साधिकाओं को संबोधित करते हुए केन्द्रीय प्रशिक्षक आचार्य मंत्रचैतन्यानंद अवधूत ने कहा कि व्यक्तिगत एवं सामूहिक जीवन में शान्ति ही आदर्श मानव समाज की पहचान है।
आध्यात्मिक अनुशीलन एवं कुसंस्कारों के विरूद्ध संग्राम से ही शान्ति संभव है।


आदर्श मानव समाज की तीन विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि
प्रथमतः मनुष्य की जरूरतों एवं मन की बात को समझकर, समाज के विधि- निषेधों को बनाना आवश्यक है।
मनुष्य का दैहिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास हो सके उसका ध्यान रखना द्वितीय विशेषता है।
सत्य को ग्रहण कर दिखावे वाले मान्यताओं, भावजड़ता ,अंधविश्वास को नहीं मानना, यह आदर्श समाज व्यवस्था की तृतीय विशेषता है।
सामाजिक एकता की प्रतिष्ठा, सामाजिक सुरक्षा और शान्ति (मन की साम्यावस्था) आदर्श समाज व्यवस्था के मौलिक बिंदु हैं।
सामाजिक एकता के लिए साधारण आदर्श, जातिभेद हीन समाज, सामूहिक सामाजिक उत्सव एवं चरम दण्ड प्रथा का ना होना आवश्यक पहलू है।
सुविचार(Justice) एवं श्रृंखला बोध या अनुशासन से ही सामाजिक सुरक्षा संभव है।
आध्यात्मिक अनुशीलन एवं कुसंस्कारों के विरूद्ध संग्राम से ही शान्ति पाया जा सकता है।
नीति ( यम – नियम) है मानव जीवन का मूल आधार, धर्मसाधना माध्यम और दिव्य जीवन लक्ष्य है।
आचार्य ने कहा कि उपरोक्त सभी तत्त्व आनन्द मार्ग समाज व्यवस्था में मौजूद है।
इस अवसर पर ब्रह्म मुहूर्त में गुरु सकाश, पाञ्चजन्य , योगाभ्यास एवं सामूहिक साधना का आयोजन किया गया। अष्टाक्षरी सिद्ध महामंत्र ‘बाबा नाम केवलम’ का गायन किया गया।

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