
मानवाधिकार सहायता संघ अंतरराष्ट्रीय के सरायकेला खरसावां जिला महिला प्रकोष्ठ अध्यक्ष श्रीमती सुमन कारूवा ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि अस्पतालों में जीवन रक्षक टीके, दवाइयां, संस्थागत प्रसव और उपचार प्रभावित हो रहा है, इसका कारण बहुत से स्वास्थ्य संस्थानों द्वारा हेल्थ मैनेजमेंट इन्फोर्मेशन सिस्टम पर स्वास्थ्य संबंधित आंकड़ों की सही जानकारी उपलब्ध नहीं, अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों से डेटा अपलोड नहीं होने के कारण वास्तविक स्थिति की जानकारी प्राप्त नहीं, स्वास्थ्य संबंधित आंकड़ों को साझा नहीं किए गए, समस्या इतनी गंभीर है कि इसके लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, झारखंड को राज्य के सभी सिविल सर्जन को पत्र लिखें और तीन दिनों के अंदर आंकड़े उपलब्ध कराने को कहा गया, ज्ञात हो कि बड़ी संख्या में उपचार मुहैया करने वाले इन सेंटरों द्वारा अस्पतालों के ओपीडी – आइपीडी के साथ ही संस्थागत प्रसव की संख्या नहीं बतायी जा रही है, जिला अस्पतालों के अप्रैल 2024 से लेकर मार्च 2025 के आंकड़ों के मुताबिक संस्थागत प्रसव इत्यादि नगण्य उपलब्धि दिखाई गईं हैं, यह स्थिति सब डिवीजन अस्पताल, कम्युनिटि हेल्थ सेंटर, प्राइमरी हेल्थ सेंटर, के साथ ही निचले इलाके के हेल्थ सेंटर और आयुष्मान आरोग्य मंदिर की इत्यादि