आनन्द मार्ग प्रचारक संघ द्वारा सरायकेला खरसावाँ के रैन बसेरा, आदित्यपुर में 170 वाँ बाबा नाम केवलम कीर्तन एवं सत्संग का आयोजन किया गया जिसमें आचार्य पारस नाथ ने कहा बाबा” शब्द का अर्थ हुआ सबसे अधिक प्रिय जन, सबसे अधिक अपना जन। क्योंकि परम पुरुष सब के पिता हैं,

इसीलिए सारी सृष्टि के वे बाबा हैं, फिर क्यों की आप ही लोग उनकी श्रेष्ठ संतान हैं उनके प्यारे पुत्र व कन्या है हमलोग ही उनके बाबा है क्योंकि उन्होंने ही पहले ही कहा है कि बाबा का अर्थ है सबसे अधिक अपना जन। क्यों कि वे सब के एकमात्र ध्येय हैं, क्योंकि उनका नाम हमारे ही अनु मानस का एकमात्र प्रक्षेप है, एकमात्र मानस विषय है, इसलिए उनका नाम ही हमारे ही मन में हमारे जिह्वा में, हमारे मन के अंतर में, हमारे अस्तित्व की प्रत्येक द्योतना में अनुरणित होना चाहिए। यह उनकी धारणा है और मेरी अभिज्ञता भी है, कि जिस तरह से उनके भक्त लोग, उनके प्यारे संतान संततियां “बाबा नाम केवलम्” कीर्तन करते हैं उसी तरह से वे भी “बाबा नाम केवलम” कीर्तन करते हैं। इस कार्यक्रम मेंभुक्ति प्रधान सरायकेला खरसवाँ गोपाल बर्मन , प्रेमनाथ राय, भुक्ति प्रधान सुधीर तात्त्विक आशु ,जगदीश प्रवेश गोप ,इत्यादि मौजूद थे ।