
आज मूर्ख दिवस है,
कैसे इसे मनाऊं?
कोई मुझे मूर्ख बनाए,
पहले मैं किसी को बनाऊं।।
आखिर इस महान दिवस को,
मनाना भी जरूरी है।
किसे पकडूं, किसे फंसाऊँ
यह समझना भी जरूरी है।।
यही सोचते हुए,
चला जा रहा था खोए हुए।
तभी सामने से आ गए,
एक पत्रकार महोदय।।
बड़े ही गर्वित भाव से
उन्होंने कहा,
अरे अद्वितीय महोदय,
क्या है आपको पता।
अब आपका देश
इंडिया नहीं रहा।
एक पत्रकार के मुंह से
यह बात सुन के।
मैं बुरी तरह से घबरा गया,
क्या मेरा देश इंडिया
नहीं रहा, क्या हो गया?
मंद मंद मुस्काते हुए,
पलकों को झपकाते हुए,
रहस्यमय ढंग से इठलाते हुए
उन्होंने बतलाया…..
आज प्रथम अप्रैल है भाई,
आपको अप्रैल-फुल बनाया।
अपना देश इंडिया नहीं तो,
भारत ही तो बनाया।।
बात उनकी सुनकर
मात उनसे खाकर
अपना कदम आगे बढ़ाया।
और आज किसी न किसी को
अप्रैल-फुल बनाने का
अद्वितीय कसम खाया।।
-अनुपम अद्वितीय, नई दिल्ली