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“संकल्पों के सफल होने की कहानी मां तारा काली मंदिर मुक्तिधाम (जादूगोड़ा)”

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कहते हैं भक्त कोई संकल्प लें तो भगवान भी उसे पूरा करने के लिए वचनबद्ध हो जाते हैं
जादूगोड़ा निवासी एक भक्त जो प्रत्येक वर्ष मां तारा के दर्शन हेतु कौशिक अमावस्या के दिन तारापीठ मंदिर जाया करता था। मां तारा के प्रति सच्ची श्रद्धा भक्ति उसे हर वर्ष तारापीठ मंदिर खींच ले जाती थी।
कौशिकी अमावस्या, भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाई जाती है. इस दिन देवी काली के उग्र और सुरक्षात्मक रूप की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस दिन काली बुरी शक्तियों को हराने और अपने भक्तों को शक्ति और सुरक्षा का आशीर्वाद देने के लिए धरती पर उतरी थीं, इसी क्रम में आज से ठीक 15 साल पहले वह भक्त किसी कारणवश
तारापीठ मंदिर नहीं जा सका। जिस कारण भक्त के मन में विभिन्न विचारों का उत्थान हुआ। जीवन की चिंताओं और अनिश्चितताओं के बारे में विचार आने प्रारंभ हुए। उस भक्त के मन में ख्याल आया मां का मंदिर तारापीठ तो जा नहीं सका। अब दर्शन कहां करें? मां तारा के कौन से मंदिर में जाए? मानसिक तनाव और चुनौतियों के बारे में सोचते सोचते उस भक्त पूरे रात उस श्मशान में ही जो की मुक्तिधाम कहलाता है। गुजार दिया। अगले दिन उस भक्त के मन में जादूगोड़ा श्मशान घाट के समीप (मुक्तिधाम) मंदिर निर्माण करने का ख्याल आया। मंदिर निर्माण के संकल्प के साथ मां की प्रतिमा की खोज चालू हुई। आसपास सभी जगह में बहुत खोजने के बावजूद मां की प्रतिमा नहीं मिला,आखिरकार गोविंदपुर रेलवे स्टेशन के समीप मां की प्रतिमा मिली जिसे वहां से लाकर एक छोटे से खुले जगह पर स्थापित किया गया। मंदिर निर्माण के साथ-साथ बहुत सारी परेशानियां, जैसे निर्माण में रुकावट, निर्माण के लिए धन आदि प्रमुख कारण रहा, लोगों के सकारात्मक सहयोग का आश्वासन और जादूगोड़ा यूसीआईएल के कुछ प्राधिकारी के सहयोग के साथ धीरे धीरे मंदिर का काम चलता गया, भक्त के आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में भी कुछ पुराने यूसीआईएल कंपनी के प्राधिकारी का काफी योगदान रहा है। यूसीएल के छोटे-मोटे टेंडर को चालाने का काम देकर भक्त की आर्थिक स्थिति को मजबूती प्रदान किया गया। जिस कारण आज यह मंदिर बनना संभव हो पाया। मंदिर में भक्तों की खास आस्था है, क्योंकि यहां मान्यता है कि जो भी भक्त दर्शन करता है, उसकी हर इच्छा पूरी होती है। कौशिक अमावस्या के दिन इस मंदिर में खास पूजा अर्चना की जाती है। और भक्तों में प्रसाद वितरण किया जाता है। चैत्र अमावस्या, कौशिक अमावस्या के दिन इस मंदिर में विशेष पूजा अर्चना की जाती है। विशेष हवन का आयोजन किया जाता है। भक्तों में प्रसाद भोग इत्यादि का वितरण किया जाता है। मंदिर परिसर में वर्तमान पुजारी शक्ति पोदो मजूमदार है। धेनु बाबा, गांधी कर्मकार के द्वारा हवन तंत्र का पूजा संपन्न किया जाता है।

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