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आज भी दिल मे जीवित है पाकिस्तान से जंग की तमन्ना

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खरंगाझार राधिका नगर में रहने वाले योगेश्वर नंद सिंह ने 2002 में नेवी में पेटी ऑफिसर मैकेनिकल इंजीनियर के पद पर योगदान दिया। इसके बाद उड़ीसा के चिल्का बेस कैंप मे प्रशिक्षण के बाद आई एन एस शिवाजी पुणे के प्रशिक्षण केंद्र में भेज दिया गया।वहां से उनकी पहली पाेस्टिंग मझगांव पाेस्ट मुंबई में हुई. उनकी तमन्ना थल सेना में जाने की थी. जल सेना में रहते हुए भी उन्हाेंने स्पेशल फाेर्सेस मेरिन कमांडाें की ट्रेनिंग ली, किसी कारणवश उसमें उनका सलेक्शन नहीं हाे पाया ताे उन्हाेंने मरीन नेवल डाइवर का प्रशिक्षण हासिल किया. उनकी ट्रेनिंग काेच्चिन में हुई. जिसके बाद वे फिर मुंबई मझगांव पाेस्ट निरुपक शिप में तैनात कर दिये गये. सेवा कार्य के दाैरान देश-विदेश के कई भागाें में जाने का अवसर नेवी ऑफिसर याेगेश्वर काे हासिल हुआ. सेना एक ऐसा अंग है, जिसे किसी भी काम में लगाया दिया जाये ताे उसकी सफलता की गारंटी शत-प्रतिशत बढ़ जाती है. चाहे वह युद्ध का मैदान हाे या फिर मानवता का काम. ऐसे ही काम में उनके आइएनएस निरुपक काे मेडिकल शिप बनाकर इंडाेनेशिया में आये सुनामी में लगाया गया. परेशान आैर समुद्र में फंसे लाेगाें काे बड़े जहाज से छाेटे लाइफ वाेट-जेमिनी में उतर कर बचाया. कई लाेगाें का अॉपरेशन जहाज पर ही उनकी टीम के साथ डॉक्टराें ने किया. याेगेश्वर सिंह दक्ष नेवल डाइवर थे, इसलिए उनका इस्तेमाल केंद्रीय शिप में सर्वे कार्याें के लिए अधिक किया जाता था. मालदीप आैर आस-पास के क्षेत्राें में समुद्र के अंदर जाकर जानकारियां एकत्र करना उनका अहम काम हाेता है. 2009 में उन्हाेंने काफी अहम जानकारियां माले के आस-पास से एकत्र की. उन्हाेंने कहा कि 1971 की जंग में नेवी का इस्तेमाल हुआ था. उनकी तमन्ना थी कि पाकिस्तान के साथ सीधी जंग का वे हिस्सा बने, इसीलिए उन्हाेंने मरीन कमांडाें का प्रशिक्षण लेना चाहा, लेकिन माैका नहीं मिला. फाैज में याेगदान देनेवाली की हार्दिक इच्छा हाेती है कि वह अपना बलिदान युद्ध भूमि पर ही दे. अभी भी उन्हें कॉलिंग पीरियड में रखा गया है. सीधी लड़ाई में ताे नहीं, सपोर्ट सर्विस में काम करेंगे. इसलिए वे अपने आप काे हमेशा फिट टू फाइट की स्थिति रखते हैं. झारखंड सरकार, जिला प्रशासन के साथ-साथ शहर के लाेगाें काे भी यदि उनकी जरूरत पड़ेगी ताे वे इसके लिए तैयार हैं. उनकी तमन्ना है कि पाकिस्तान के चार टुकड़े हाे. उन्हें पुकारा जायेगा ताे वे बिना देर किये चल पड़ेगे।

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