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पाकिस्तान को चटाया था धूल

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दुनिया के सबसे अनोखे युद्धों में से एक भारत पाकिस्तान का 1971 का युद्ध कई मायनों में ऐतिहासिक और भौगोलिक साक्ष्यों का गवाह बना. सिर्फ 93,000 पाकिसतानियों को घुटनों के बल आत्मसमर्पण ही नहीं करना पड़ा, बल्कि एक नये देश बांग्लादेश का उदय दुनिया के मानचित्र पर भी हुआ. नेवी के रणनीतिकारों द्वारा लिये गये सटीक और विश्वसनीय निर्णय ने तीन दिसंबर की रात जब आपरेशन ट्राइडेंट और फिर 8 दिसंबर को अॉपरेशन पायथोन को समुद्र की लहरों के बीच वास्तविकता में उतारा गया तो पाकिस्तानियों के बीच हड़कंप मच गया. जी हां, एडमिरल एसएम नंदा और उनकी टीम के अहम और तत्कालीन फ्लीट अॉपरेशन अफसर हिरानंदनी के निर्णय को स्वरूप देने का जिम्मा मिला स्ट्राइक ग्रुप के कोर कमांडर बबरु भान यादव को दिया गया. ऐसे गौरव पल को अंजाम देने का सौभाग्य प्राप्त हुआ भारतीय नौ सैनिक जहाज विनाश निपात और निर्घट को जबकि किलतान और किच्चल पनडुब्बी को इस मिशन में 10.30 बजे रात को पाकिस्तान की सबसे महत्वपूर्ण मानी जानीवाली आर्थिक राजधानी कराची को नेस्तनाबूद करने की जिम्मेदारी मिली. 259 नॉटिकल मील दूर कराची को बर्बादी का पहला प्रहार का जिम्मा निपात को मिला. 10.30 बजे जबर्दस्त मिसाइल प्रहार से पाकिस्तानी शाहजहां समंदर की गर्त में समाने लगा. हाहाकार मच गया. पाकिस्तानी नेवी के मुख्यालय में. रात 11.20 बजे पाकिस्तान के मुहाफिज को बर्बाद किया भारतीय जहाज वीर से निकली मिसाइल के अचूक निशाने ने. इस तरह पाकिस्तान तबाही के कगार पर पहुंच गया. पाकिस्तान के तीन जहाज डूबा दिये गये आैर कई अन्य काे क्षति पहुंचायी गयी. कराची बंदरगाह का तेल भंडार धू-धू कर जल उठा और मिशन ट्राइडेंट कामयाब हो गया और यह कामयाबी सिर्फ 90 मिनट में मिली. इतिहास के पन्नों में नौ सैनिक द्वारा किये गये इस शौर्यपूर्ण कार्य को 4 दिसंबर को नौसेना दिवस मनाया जाने लगा.

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