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गम्हरिया के दुग्धा गांव के रासु कैवर्त सम्मान पूर्वक जीवन जीने के लिए संघर्ष करने वाले दिव्यांगों के लिए प्रेरणास्रोत है,रासु की दुकान में नशे के सामान के बदले मिलता है नशा मुक्त जीवन शैली का संदेश

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गम्हरिया प्रखंड अंतर्गत दुग्धा गांव के
रासु कैवर्त सम्मान पूर्वक जीवन जीने के लिए संघर्ष करने वाले दिव्यांगों के लिए यह एक प्रेरणास्रोत है। रासु कैवर्त दम्पत्ति जीवन यापन के लिए साइकिल में सब्जी लाकर बमुश्किल दो जून की रोटी का जुगाड़ कर पाता था। वो दम्पत्ति आज प्रतिमाह 20 से 25 हजार रुपए की आमदनी के साथ एक आदर्श उद्यमी की तरह सम्मानित जीवन जी रहा है। उसकी पहचान टीएसएलपीएल कम्पनी के सीएसआर विभाग की ओर से प्रखण्ड क्षेत्र में दिव्यांग व्यक्तियों के लिए किए एक सर्वेक्षण के दौरान हुई थी। सर्वेक्षण में मेपिंग किए गए कुल 143 दिव्यांगों में रासु कैवर्त के परिवार की स्थिति काफी दयनीय थी। रासु दम्पत्ति ने सीएसआर टीम से मिलकर व्यवसाय के लिए समर्थन की इच्छा व्यक्त की। टीम ने दम्पत्ति के उद्यमी बनने की चाहत के लिए उसकी संघर्षशीलता से प्रभावित होकर किराने की दुकान के लिए समर्थन दिया और आज दिव्यांग रासु की दुकान में 300 से ज्यादा सामग्रियों से भरी 1.75 लाख रुपए की पूंजी खड़ी है। रासु की पत्नी साकची और जुगसलाई बाजार से दुकान के लिए सामान की खरीददारी करती है और दिव्यांग रासु दुकान सम्भालता है। रासु की दुकान में गुटखा, सिगरेट, तम्बाकू जैसे नशीले सामान की मांग करनेवाले ग्रामीण ग्राहकों को सामान नहीं मिलता है उल्टे उन्हें नशा मुक्त जीवन शैली का संदेश मिलता है।

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