
जमशेदपुर । जिले के अनेक स्वास्थ्य संस्थानों मे क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट का नहीं हो रहा है अनुपालन। उक्त बातें झारखण्ड मानवाधिकार संगठन के प्रमुख मनोज मिश्रा ने संगठन की एक बैठक मे कहीं। उन्होंने कहा कि इसे लेकर मानवाधिकार संगठन ने एक टीम का गठन किया है, ज़ो शहर के स्वास्थ्य संस्थानों का सर्वे करेगी और अपना रिपोर्ट प्रदान करेगी। उन्होंने बताया कि लगातार महँगी होती जा रही प्राइवेट चिकित्सा व्यवस्था से गरीब एवं मध्यम वर्ग पूरी तरह बर्बाद होती जा रही है, जिसे देखने वाला कोई नहीं। वहीँ सरकारी ईलाज से लोगो का भरोसा उठने लगा है। उन्होंने कहा क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट झारखण्ड मे 2013 से लागू है। इस एक्ट के कारण सभी स्वास्थ्य संस्थानों को सरकार द्वारा निर्धारित गाईडलाइन का अनुपालन करना है। जिसकी देख रेख के लिए डीसी की अध्यक्षता मे एक कमिटी का गठन भी किया गया है, जिसके संयोजक जिले के सिविल सर्जन होते है। एक्ट के नियमों के अनुसार सभी स्वास्थ्य स्वास्थ्य संस्थानों को एक्ट से अपने संस्थान का निबंधन कराना अनिवार्य है। सभी स्वास्थ्य संस्थानों को अपने संस्थान के बाहर रेट चार्ट एवं संस्थान मे प्रदत सुविधा की जानकारी जनता के लिए साइन बोर्ड मे उपलबद्ध कराना अनिवार्य है। इस एक्ट के कारण जनता को एक भरोसेमंद स्वास्थ्य संस्थान चुनने मे जहाँ आसानी होंगी वहीँ उसे अपने बजट मे स्वास्थ्य संस्थान का चयन करने की भी आजादी होंगी। एक्ट का अनुपालन नही करने पर 10 हज़ार से पाँच लाख तक का जुर्माना सम्बंधित स्वास्थ्य संस्थानों को चुकाना पड़ सकता है। मनोज मिश्रा ने बताया कि इस एक्ट के दायरे मे प्राइवेट क्लिनिक, पोली क्लिनिक, नर्सिंग होम्स,अस्पताल, पैथोलैब भी शामिल है। एक नजर मे ऐसा लगता है कि क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट सिर्फ कागजो पर ही सिमट गया है। मनोज मिश्रा ने कहा रिपोर्ट मिलने के बाद अगली रणनीति बनाई जाएगी। उन्होंने कहा हमारा मकसद गरीब एवं मध्यम वर्गीय परिवार को उचित मूल्य पर गुणवत्ता पूर्ण चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना है। बैठक मे सर्वे टीम का गठन किया गया है, जिनमे किशोर वर्मा, सालावत महतो, जयप्रकाश, एस के बसु, हरदीप सिद्दू, डी एन शर्मा, निभा शुक्ला, श्याम लाल संतोष कुमार, रेणु सिंह, रिया बनर्जी, अभिजीत चंदा, आर सी प्रधान, जगन्नाथ मोहती, जसवंत सिंह, ऋषि गुप्ता, देवाशिश दास, अपरेश सिन्हा सहित काफ़ी संख्या मे शामिल हुए।