
झारखंड स्टेट बार काउंसिल के वाइस चेयरमैन और राज्य के सुप्रसिद्ध वरिष्ठ अधिवक्ता श्री राजेश कुमार शुक्ल ने कहा है कि न्याय की भावना से तैयार भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम के लिए जागरूकता और क्षमता निर्माण जरूरी है l इस दिशा में बार काउंसिल ऑफ इंडिया और झारखंड स्टेट बार काउंसिल ने शैक्षणिक 2024-25 में ही विश्वविद्यालयों और विधिक शिक्षा केंद्रों के पाठ्यक्रम में तीनों कानूनों को शामिल करना अनिवार्य किया था l
श्री शुक्ल ने कहा है कि इस दिशा में केन्द्र सरकार के साथ राज्य सरकार ने भी जागरूकता के लिए विभिन्न स्तर पर प्रशिक्षण आयोजित कराए हैं लेकिन अभी भी इसमें तकनीकी पहलुओं पर जागरूकता और आधारभूत संरचना जरूरी है l
श्री शुक्ल ने झारखंड के राज्यपाल श्री संतोष गंगवार और झारखंड के मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन को इमेल भेज कर लिखा है कि इस तीनों कानूनों में तकनीक शामिल करने से उजाला आया है l प्राथमिकी से केस डायरी से चार्जशीट और चार्जशीट से जजमेंट तक की सारी प्रक्रियाओं को डिजिटलाईज किया गया है ताकि तकनीक के माध्यम से संपूर्ण ट्रायल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से भी हो सके l जिस परिकल्पना के साथ न्यायिक पद्धति को सुसज्जित करने के सारे प्रावधान इस कानून में किए गए हैं उसके लिए सही तरीके से हर स्तर पर ये कानून लागू कराने के लिए जागरूकता से जुड़े हितधारको के साथ समीक्षा बैठकें जरूरी है l वही पर नए अपराधिक कानूनो के पीछे की भावना को समाज के विभिन्न वर्गों तक भावनात्मक तरीके से सोचने और पहुंचाने की जरूरत है l महिलाओं और लड़कियों को नए कानूनों के तहद उनके अधिकारों और सुरक्षा के बारे में अवगत कराना जरूरी है l तीनों कानूनों से जुड़े पोस्टर और फ्लेक्स तैयार कर शहर और पंचायत में जागरूकता के लिए लगाना आवश्यक प्रतीत होता है l ताकि नए आत्मविश्वास के साथ न्यायिक सुगमता और न्याय की अवधारणा से इसका सुफल आमलोगों को मिल सके l