
नोवामुंडी – 28 जून(शनिवार)को नोवामुंडी कॉलेज में प्राचार्य डॉ. मनोजित विश्वास के निर्देशानुसार हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो. साबिद हुसैन की अध्यक्षता में “हिन्दी दलित साहित्य: स्वर, संवेदना और सामाजिक परिवर्तन” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य विद्यार्थियों, शोधार्थियों और शिक्षकों को दलित साहित्य की सामाजिक प्रासंगिकता, संवेदनात्मक गहराई और परिवर्तनकारी भूमिका से परिचित कराना था।

कार्यक्रम का शुभारंभ छात्राओं द्वारा सरस्वती वंदना के साथ हुआ। इस अवसर पर हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो. साबिद ने कहा कि हिन्दी साहित्य की दुनिया में दलित साहित्य एक ऐसी सशक्त धारा के रूप में उभरा है, जिसने न केवल सामाजिक व्यवस्था को झकझोरा है, बल्कि साहित्य के स्वरूप और उद्देश्य को भी पुन: परिभाषित किया है। उन्होंने कहा कि दलित साहित्य वह साहित्य है जो सदियों से वंचित, उपेक्षित और उत्पीड़ित समाज की आवाज बनकर उभरा है। प्रो. भवानी कुमारी ने दलित साहित्य पर अपने विचार साझा करते हुए कहा कि —दलित साहित्य वह चेतना है, जो शोषित वर्ग की आवाज़ बनकर समग्र समाज को आत्ममंथन के लिए प्रेरित करता है। कार्यक्रम में उपस्थित डॉ. मुकेश कुमार सिंह ने कहा कि दलित साहित्य सामाजिक न्याय का साहित्य है। यह आत्मवेदना के माध्यम से सामाजिक संरचना को प्रश्नों के घेरे में लाता है और परिवर्तन की चेतना का वाहक बनता है।
शिक्षकों में प्रो. परमानंद महतो, राजकरण यादव, संतोष कुमार पाठक व छात्राओं में पूजा कैवर्त एवं निशा दास ने भी अपने विचार साझा किए।
इस अवसर पर कॉलेज के शिक्षक- शिक्षिकाओं में प्रो. परमानंद महतो, डॉ मुकेश कुमार सिंह, साबिद हुसैन, संतोष कुमार पाठक, राजकरण यादव, धनीराम महतो,तन्मय मंडल, नरेश कुमार पान,लक्ष्मी मोदक, मंजू लता सिंकू सहित काफी संख्या में छात्र छात्राएँ उपस्थित थे।