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टाटा डी.ए.वी. पब्लिक स्कूल नोवामुंडी में रवीन्द्रनाथ जयंती का हुआ आयोजन

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टाटा डी.ए.वी. पब्लिक स्कूल नोवामुंडी में आज दिनांक – 09/05/2025 , शुक्रवार को रवींद्रनाथ ठाकुर की जयंती, मदर्स डे एवं “रेड डे” का आयोजन किया गया | इसके दौरान भाषण, गायन, लेखन प्रतियोगिता,प्रार्थना गाना जैसे विषयों पर गतिविधियों का आयोजन किया गया |

कार्यक्रम की शुरुआत में प्राचार्य श्री प्रशांत कुमार भूयान ने रवींद्रनाथ ठाकुर के चित्र पर वैदिक मन्त्रों के साथ दीप प्रज्वलन के द्वारा पुष्पांजली अर्पित किया जिसमें संस्कृत शिक्षक सुरेश पंडा ने अन्य उपस्थित शिक्षकों के साथ सहभागिता की |

रवींद्रनाथ ठाकुर के बारे में बताते हुए कक्षा – 12 के सिद्धांत दास एवं अनिकेत ज़ोरदार ने अपने विचार प्रस्तुत किये | प्राचार्य श्री प्रशांत कुमार भूयान ने कहा कि रवींद्रनाथ ठाकुर का नाम सुनते ही हमारे मन में साहित्य, संगीत और राष्ट्रभक्ति की भावना जाग जाती है ।वे हमारे राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ के रचयिता थे और पहले भारतीय जिन्हें नोबेल पुरस्कार मिला। उनकी पुस्तक ‘गीतांजलि’ ने न केवल भारत, बल्कि पूरे विश्व को प्रभावित किया।
रवींद्रनाथ ठाकुर का मानना था कि शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं होनी चाहिए। उन्होंने शांतिनिकेतन की स्थापना की, जहाँ प्रकृति और ज्ञान का मेल होता है। गुरुदेव हमें यह सिखाते हैं कि हर इंसान में रचनात्मकता होती है — बस जरूरत है उसे पहचानने और विकसित करने की। आइए, हम सभी यह संकल्प लें कि हम भी अपनी क्षमताओं को पहचाने, संवेदनशील बनें और एक अच्छे इंसान की तरह समाज में योगदान दें।
“रेड डे” के बारे में शिक्षक अरबिंद ठाकुर ने विस्तार पूर्वक बताया | श्री ठाकुर ने कहा कि “रेड डे” बच्चों के लिए एक विशेष दिन है जहाँ वे लाल रंग से संबंधित गतिविधियों में भाग लेते हैं। इसका उद्देश्य बच्चों को लाल रंग के बारे में सिखाना और उनके संचार कौशल का विकास करना है। बच्चों को लाल रंग के बारे में सिखाने के लिए, वे लाल रंग की वस्तुओं की पहचान करते हैं, लाल रंग से संबंधित कविताएँ या गीत गाते हैं, और लाल रंग से कलाकृतियाँ बनाते हैं। बच्चे और शिक्षक लाल रंग के कपड़े पहनकर उत्सव में भाग लेते हैं। कक्षाओं और गलियारों को लाल रंग की सजावट से सजाया जाता है, जैसे कि गुब्बारे, झंडियां, और लाल रंग के पोस्टर। बच्चे घर से लाल रंग की वस्तुएं लाते हैं और उन्हें कक्षा में प्रदर्शित करते हैं। शिक्षकों द्वारा लाल रंग से संबंधित कहानियाँ सुनाई जाती हैं, जिससे बच्चों को रंग के बारे में और जानकारी मिलती है। यह बच्चों को रंगों के बारे में सिखाने और उनकी पहचान करने में मदद करता है। लाल रंग कई संस्कृतियों में महत्वपूर्ण माना जाता है और इसे शुभ रंग माना जाता है।

वरिष्ठ संस्कृत शिक्षक सुरेश पंडा ने ‘मदर्स डे’ की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह दिन उन सभी माताओं को समर्पित है जो बिना किसी स्वार्थ के प्रेम और त्याग से हमारे जीवन को संवारती हैं। माँ केवल एक शब्द नहीं है — यह एक भावना है, एक एहसास है, जो हमें जीवन की शुरुआत से ही सुरक्षा, प्रेम और सहारा देती है। माँ ही वो पहली शिक्षिका होती हैं, जो हमें बोलना, चलना, जीना सिखाती हैं। वो हर दिन हमारे लिए काम करती हैं, पर कभी थकती नहीं, कभी शिकायत नहीं करती। चाहे हमें थोड़ी सी तकलीफ़ हो, माँ सबसे पहले समझ जाती हैं — बिना कहे ही। आज के दिन हमें सिर्फ “Happy Mother’s Day” कहने से ज़्यादा, अपने व्यवहार, अपने कामों और अपने प्यार से माँ को यह महसूस कराना चाहिए कि हम उनकी कितनी कद्र करते हैं। माँ के लिए सबसे अच्छा तोहफ़ा यही है कि हम अच्छे इंसान बनें, मेहनत करें, और उनका सम्मान करें।

कार्यक्रम में माताओं ने अच्छी संख्या में भाग लिया | कार्यक्रम की रूप रेखा बनाने में शिक्षिका बी. सुजाता पाल, गरिमा मिश्र, कुसुम कुमारी, अंतरा चौधुरी एवं जे. रमा ने सक्रिय भूमिका निभायी | मंच संचालन कक्षा १२ के सिद्धांत दास ने किया | कार्यक्रम की समाप्ति शांति पाठ एवं राष्ट्रगान गाकर किया गया | मौके पर सभी कर्मचारी उपस्थित थे|


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