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उत्क्रमित मध्य विद्यालय में यूनिसेफ जेंडर टूल किट पर चला जागरूकता अभियान

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नोवामुंडी प्रखंड अंतर्गत गुवा के नुईया गांव स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय में यूनिसेफ़ के सहयोग से जेंडर टूलकिट पर आधारित एक जागरूकता अभियान चलाया गया। इस अभियान के माध्यम से कक्षा 8 के किशोर और किशोरियों को क्यों कार्ड्स के जरिए लैंगिक भेदभाव और समाज में प्रचलित स्टीरियोटाइप से ऊपर उठने की प्रेरणा दी गई। कार्यक्रम के दौरान बच्चों को एक रचनात्मक खेल ड्राइवर और कार के माध्यम से बताया गया कि समाज में लड़के-लड़कियों को लेकर बनी हुई पारंपरिक सोच कैसे धीरे-धीरे बदल सकती है। इस गतिविधि ने बच्चों को यह समझने में मदद की कि लड़कियाँ भी निर्णय लेने और नेतृत्व करने में सक्षम हैं। जेंडर सीआरपी गीता देवी और ममता देवी ने बच्चों को सोशल मीडिया से प्रभावित हो रहे बनावटी और दिखावटी जीवनशैली के खतरों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने समझाया कि वास्तविकता और आभासी दुनिया के बीच फर्क समझना जरूरी है ताकि बच्चों की सोच और आत्मविश्वास प्रभावित न हो। कार्यक्रम के दौरान परी हूँ मैं बड़े सपने बड़े काम जैसी प्रेरणादायक कहानियों के माध्यम से बच्चों में आत्मबल और आत्मविश्वास जगाने की कोशिश की गई। इन कहानियों ने बच्चों को यह संदेश दिया कि वे किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ सकते हैं, चाहे वह खेल हो, विज्ञान हो या कला। उम्र के अनुसार बढ़ते सपने शीर्षक वाले सत्र में बच्चों को यह समझाया गया कि उम्र के हर पड़ाव पर उनके सपने बदलते हैं और उन्हें कैसे सकारात्मक दिशा में आगे ले जाना चाहिए। यह सत्र बच्चों के भीतर आत्मनिरीक्षण और आत्म-विश्लेषण की भावना जगाने में सहायक रहा। कार्यक्रम का समापन कैसे बनें चैम्पियन विषय पर हुआ, जिसमें बच्चों को यह बताया गया कि आत्मविश्वास, समानता की भावना और अपने लक्ष्य के प्रति समर्पण उन्हें एक सच्चा चैम्पियन बनाता है। इसके साथ ही उन्हें यह भी सिखाया गया कि असमानता और भेदभाव का विरोध करना भी एक प्रकार की बहादुरी है। इस तरह के जागरूकता कार्यक्रम बच्चों को न केवल वर्तमान समाज की सच्चाई से रूबरू कराते हैं, बल्कि उन्हें आने वाले कल के लिए तैयार भी करते हैं। जेंडर टूलकिट के माध्यम से बच्चों के भीतर छिपे सवालों को सामने लाने और सुलझाने का यह प्रयास सराहनीय रहा।

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