Latest Posts

हटे इंद्रजीत तो झारखंड के साथ होगा खेल

Spread the love

पांच सदस्य इंद्रजीत को हटाने पर अड़े
जमशेदपुर। श्री गुरु गोविंद सिंह जी की जन्मस्थली तख्त श्री हरमंदिर जी पटना साहिब का प्रबंध देख रही कमेटी से महासचिव इंद्रजीत सिंह को हटाने की लगभग पूरी तैयारी हो चुकी है। इंद्रजीत सिंह को हटाते ही झारखंड के साथ खेला होगा अर्थात उसका प्रतिनिधित्व खत्म होना भी तय है?पिछले दो-तीन सालों से महेंद्र पाल सिंह ढिल्लन और इंद्रजीत सिंह गुट के बीच चूहा बिल्ली का खेल चल रहा है और ऐसे में प्रधान जगजोत सिंह सोही बड़े सधे हुए अंदाज में अपनी चाल चल रहे हैं। वे सिख राजनीति में निष्पक्ष दिखे रहना चाहते हैं और वही पटना के सिखों की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहते हैं।


पिछले साल जनवरी में ही पूर्व महासचिव महेंद्र पाल सिंह ढिल्लन ने अपने इरादे स्पष्ट कर दिए थे कि बिहार के वर्तमान भौगोलिक सीमा के अनुसार ही दक्षिण बिहार की सीट निर्धारित होनी चाहिए। जब झारखंड अलग राज्य बन चुका है तो उसकी हिस्सेदारी भी खत्म होना चाहिए। इसे लेकर महेंद्र पाल सिंह खेमा बिहार राज्य निर्वाचन आयोग, संरक्षक सह प्रधान एवं जिला सत्र न्यायाधीश पटना, एसडीओ, कमेटी के प्रधान सरदार जगजोत सिंह सोही की शरण में जा चुका है और इसे लेकर हाईकोर्ट की शरण में हैं। वे चाहते हैं कि बिहार के वर्तमान दक्षिण बिहार सीमा के 16 गुरुद्वारा ही निर्वाचन क्षेत्र में रहे और झारखंड के 125 गुरुद्वारों का

प्रतिनिधित्व खत्म कर दिया जाए?इधर पटना हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव राय ने वादी महेंद्र पाल सिंह ढिल्लन एवं प्रतिवादी इंद्रजीत सिंह को 15 सितंबर की बैठक में वोटर लिस्ट को अंतिम रूप देने, गुरुद्वारों का आर्थिक मूल्यांकन करने तथा अन्य मुद्दों पर खुलकर विचार करने को कहा है।इंद्रजीत सिंह ने 15 सितंबर की बैठक की जानकारी पत्रों के माध्यम से सभी सदस्यों को भेज दी है।शनिवार 31 अगस्त को वरीय उपाध्यक्ष गुरविंदर सिंह, महेंद्र पाल सिंह ढिल्लन, राजा सिंह, डॉक्टर गुरमीत सिंह एवं हरपाल सिंह जोहल के संयुक्त हस्ताक्षर से तीसरी बार महासचिव को पत्र भेजा गया है

जिसमें साफ लिखा है कि 8 फरवरी 2024 को हुई बैठक के प्रस्ताव की संपुष्टि तथा महासचिव के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर बैठक हो।8 फरवरी की बैठक में तय हुआ था कि पटना जिला न्यायाधीश द्वारा मनोनीत रणजीत सिंह एवं आईएस सिंह के मनोनयन को खारिज करने की अनुशंसा की जाए एवं वोटर लिस्ट उचित सत्यापन के बाद जारी की जाए।पांचों का साफ कहना है कि गत 30 अप्रैल, गत 5 जून एवं गत 13 अगस्त को पत्र इस आशय की पूर्ति के लिए भेजा था और महासचिव ने बैठक नहीं बुलाई। ऐसे में अनुच्छेद 27,

अनुच्छेद 17 (ए)(4) के अनुसार महासचिव को पद से हटाया जाना चाहिए।अब यह देखना दिलचस्प होगा की 15 सितंबर की बैठक में महासचिव इंद्रजीत सिंह को पद से हटाए जाने का प्रस्ताव पारित होता है अथवा नहीं। प्रस्ताव पारित हुआ तो महेंद्र पाल सिंह ढिल्लन निश्चय ही बिहार के दक्षिण बिहार भौगोलिक सीमा के गुरुद्वारों को ही दक्षिण बिहार निर्वाचन क्षेत्र में रखेंगे और अन्य का पत्ता काट देंगे?राष्ट्रीय सनातन सिख सभा के राष्ट्रीय संयोजक अधिवक्ता कुलविंदर सिंह ने आपसी मतभेद बुलाकर झारखंड सिख कौम के हित में सभी गुरुद्वारा सिंह सभाओं के प्रधान को एक होने की अपील की है।j

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!