
जमशेदपुर। बिष्टुपुर सत्यनारायण मारवाड़ी मंदिर में सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन शनिवार को स्वामी हिमांशु जी महाराज ने व्यासपीठ से परीक्षित जन्म और कपिल अवतार की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि कभी भी किसी महात्मा का अपमान नहीं करना चाहिए। यदि हम अगर किसी संत का अपमान करते है तो भागवत प्राप्ति में बाधा डालती हैं। भागवत के जो मुख्य श्रोता है राजा परीक्षित, उनको श्राप के कारण श्री सुखदेवजी ने सात दिन की भागवत कथा श्रवण करायी। जिससे उनका उत्थान हो गया। उन्होंने कहा कि भगवान विष्णु ने पांचवा अवतार कपिल मुनि के रूप में लिया। भगवान उसी ह्रदय में वास करते हैं, जिसका मन गंगा की तरह साफ हो। मनुष्य जीवन का महत्व समझते हुए भगवान की भक्ति में अधिक से अधिक समय देना चाहिए। कथा व्यास हिमांशु जी ने शिव-पार्वती विवाह की महिमा का गुणगान करते हुए बताया कि श्वसुर दक्ष प्रजापति और दामाद भगवान शंकर में बेर के कारण सती जो कि भगवान ईश्वर की पत्नी थी ने अपने देह को यह सोचकर त्याग दिया कि भगवान शंकर का अपमान हुआ हैं।

वही सती अगले जन्म में पार्वती बनी। इस कारण शिव और पार्वती का विवाह होता है। शिव और पार्वती का स्वरूप श्रद्धा और विश्वास माना जाता है। भगवान श्रद्धा और विश्वास से ही मिलते हैं। इस कथा से समाज को यह शिक्षा मिलती है कि जहां अपमान हो वहां कदापि नहीं जाना चाहिए। दूसरे दिन यजमान के रूप में अनील सुनील गर्ग, अशोक नरेड़ी, हरिशंकर सोंथालिया, नारायण भाउका, महेश सरायवाला एवं सुशील अग्रवाल मौजूद थे। साथ ही श्री श्याम सेवा समिति, विश्वनाथ नरेड़ी, छितरमल धुत, नाथुलाल पोददार, विजय मित्तल की तरफ से प्रसाद का आयोजन किया गया था। तीसरे दिन रविवार को कथावाचक द्धारा धु्रव चरित्र और नरसिंह अवतार की कथा का रसपान कराया जायेगा। इस मौके पर प्रमुख रूप से सुरेश आगीवाल, अशोक नरेड़ी, कुंजबिहारी नागेलिया, श्याम सुंदर नागेलिया, हरिशंकर अगीवाल, समेत काफी संख्या में भक्तगण देर शाम तक शामिल थे।