
रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम पर फर्जीवाड़ा करने का मामला सामने आया है। चक्रधरपुर डिविजन के जीएम की शिकायत पर गार्डेन रीच कोलकाता की विजिलेंस टीम मंगलवार को जांच-पड़ताल शुरू की। इस दौरान टीम ने फर्जी तरीके से चक्रधरपुर मंडल रेलवे के अधीन पड़ने वाले बीरबांस हॉल्ट में बुकिंग क्लर्क बनकर काम कर रहे तीन युवकों को धर दबोचा है। इसमें तमिलनाडु निवासी धीविन कुमार, पश्चिम बंगाल के नदिया निवासी रूपम साहा व नदिया के ही शुभाशीष मंडल शामिल हैं। टीम ने एक अन्य जालसाज जिसका नाम डेविड सिंह बताया जा रहा है उसे गिरफ्तार किया है। विजिलेंस की टीम चारों को अपने साथ चांडिल जीआरपी थाना ले गई है। वहीं सरगना अंशुमन की तलाश में विजिलेंस की टीम जुट गई है। बताया जा रहा है कि किसी अंशुमन नाम के जालसाज को तमिलनाडु निवासी धीविन कुमार ने पांच लाख, पश्चिम बंगाल के नदिया निवासी रूपम शाह ने आठ लाख रुपए और नदिया के ही शुभाशीष मंडल ने भी आठ लाख रुपए नौकरी के एवज में दिए थे। डेविड सिंह रेलवे के ठेकेदार अनुराग पूर्ति का भाई है। इनके द्वारा फर्जी आईडी बनाकर तीनों को बिरबांस हॉल्ट में टिकट बुकिंग क्लर्क की ड्यूटी लगाई गई थी। इन्हें दस हजार रुपए प्रतिमाह ट्रेनिंग भत्ता के रूप में दिया जाता था। ट्रेनिंग के बाद 30 हजार रुपए वेतन देने की बात कही गई थी। इसकी जानकारी मिलते ही चक्रधरपुर डिविजन के जीएम की शिकायत पर गार्डेन रीच कोलकाता की विजिलेंस टीम सक्रिय हुई। टीम लगातार पिछले तीन दिनों से इनकी भूमिका पर नजर रख रही थी। मंगलवार को टीम ने एकसाथ तीनों फर्जी बुकिंग क्लर्क के साथ ठेकेदार के भाई को धर दबोचा। आदित्यपुर के भाटिया बस्ती में रहता है। बताया जाता है कि डेविड ही डेली सेल का पैसा कलेक्ट करता है। इनमें से किसी ने अंशुमन को ना देखा है न पहचानता है। ऐसे में अहम सवाल ये उठता है कि आखिर तीनों युवक किसके सह पर रेलवे के बुकिंग काउंटर पर क्लर्क बनकर काम कर रहे थे। सूत्र की मानें तो इसमें रेलवे के बड़े अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध है।