

आज आनन्द मार्ग प्रचारक संघ सरायकेला खरसावां द्वारा जोनल रेलवे प्रशिक्षण संस्थान सीनी में बायो साइकोलॉजी पर एक प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया . जिसमें आचार्य गुणीन्द्र नंद अवधूत ने उपस्थित प्रशिक्षु टीटी गॉर्ड ,रेल ड्राइवर को बताया कि दुनिया द्रुत गति से स्थूल जगतिकता से बौद्धिकता की ओर बढ़ रही है .वह दिन बहुत जल्द आने वाला है जब वह बौद्धिक उत्कर्ष आध्यात्मिकता में रूपांतरित होगा. अभी हम जिस प्रकार बौद्धिक विकास के युग से गुजर रहे हैं

उसी प्रकार निकट भविष्य में आध्यात्मिक युग भी आएगा तीन प्रकार के जैविक अस्तित्व हैं पहला है शरीर प्रधान जीव जंतु जैसे कुकुर यदि हम लोग किसी कुत्ते को गाली देंगे तो उसमें कोई प्रतिक्रिया नहीं होगी द्वितीय है मन प्रधान अस्तित्व जैसे मनुष्य को यदि अपमानित करेंगे वह दुखी हो जाएगा यहां तक कि वह फूट-फूट कर रोने लगेगा यहां तक कि आत्महत्या भी कर सकता है तृतीय है आध्यात्मिकता प्रधान लोग स्वमहिमा में विराज करेंगे चक्र है ग्रंथि उप ग्रंथियों का समाहार एक एक चक्र में एक या एक से अधिक ग्रंथियां जुड़ी हुई रहती है और इन ग्रंथियों के रस क्षरण में त्रुटि होने के फलस्वरूप विभिन्न तरह की रोग का प्रादुर्भाव होता है. प्रोस्टेट ग्रंथि से रस क्षरण मात्रा से अधिक होने के कारण व्यक्ति के अंदर एक प्रकार का विषाद वायु का प्रकोप दिखाई पड़ता है .

व्यक्ति यह सोचता है कि परम पुरुष को ऐसी सृष्टि की रचना करने का प्रयोजन क्या था उन्होंने इस विश्व ब्रम्हाण्ड की सृष्टि क्यों की . इस बीच में मैं अकेला हूं निसंग हूं मेरा कोई बंधु बांधव नहीं है जीवन में जीने का कोई आनंद नहीं है मेरे लिए सोचने वाला कोई नहीं है और इसके कारण वह अंत में आत्महत्या भी कर सकता है और यदि इससे रस क्षरण अल्प मात्रा में हो तो वह भय बृत्ति उसमें जागृत होता है वह व्यक्ति मानसिक भ्रांति दर्शन का शिकार हो जाता है वह दिन के उजाले में भी भूत देखता है . मानव शरीर में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता अत्यंत महत्वपूर्ण होती है उन्होंने बताया कि आज्ञा चक्र के ऊपर और दो चक्र हैं एक का नाम है गुरु चक्र दूसरे का नाम है शहस्त्रार चक्र इन चक्रों से हार्मोन के अति क्षरण से शरीर और मन पर व्यापक प्रभाव पड़ता है.मणिपुर चक्र के साथ एड्रिनल ग्रंथि और प्रोस्टेट ग्रंथि से संबंधित है किडनी से ऊपर और अग्नाशय के नजदीकी एड्रिनल ग्रंथि हैं अचानक कोई दवाव पड़ने पर शरीर में तीव्र उत्तेजना पैदा होती है इस ग्रंथि से निः सृत हार्मोन उसे नियंत्रित करता है .वर्तमान में लोगों को देखते हैं जैसे हृदय रोग अल्सर श्वास रोग रक्तचाप जो आधुनिक सभ्यता के लोग कह सकते हैं प्रतिक्रिया व्यक्त न कर पाने के कारण आधुनिक सभ्यता के रोग कह सकते है. मणिपुर चक्र का संतुलन नष्ट होने लगा है इसके फलस्वरूप स्ट्रेस या स्ट्रेन से बचने के लिए बहुत से लोग विभिन्न प्रकार के नसा के आदि हो जाते हैं .आसन और साधना की सहायता से इसे बचा जा सकता है. वहीं इस बीच मुख्य रूप से भुक्ति प्रधान गोपाल बर्मन ,राजेन्द्र प्रसाद, प्राचार्य अवतार सिंह, उप प्राचार्य आकाश मुखी अनुदेशक सूर्य देव सिंह इत्यादि उपस्थित थे