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शुक्रवार को सरायकेला जिले में वट सावित्री की पूजा धूमधाम से मनाई गई . वही गम्हरिया प्रखंड के कांड्रा में भी वट सावित्री की पूजा को लेकर महिलाओं में काफ़ी उत्साह देखने को मिला. बट सावित्री की पूजा कर सुहागिनों ने अखंड सौभाग्य की कामना की. सुबह से ही वट वृक्ष के पास सुहागिन महिलाएं समूह में जुटकर पूजा-अर्चना में जुट गई. कई जगहों पर पुजारियों ने सुहागिनों को सावित्री और सत्यवान की कथा भी सुनाई.
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कांड्रा थाना परिसर स्थित शिव मंदिर समीप बरगद के पेड़ के नीचे महिलाएं बड़ी संख्या में पहुंची .सुहागिनों ने वट सावित्री की पूजा कर पति के दीर्घायु की कामना की और परिवार की सुख-शांति और समृद्धि की मन्नत मांगी. दोपहर तक वट वृक्ष की पूजा करने के लिए सुहागिन महिलाओं की भीड़ लगी रही.
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वहीं मंदिरों में भी सुहागिनों ने पूजा की. सुहागिनों ने वट सावित्री की पूजा के दौरान वृक्ष की परिक्रमा कर रक्षा सूत्र बांधा और एक-दूसरे को सिंदूर लगाया वहीं, पूजन के बाद आरती की .इस व्रत को लेकर एक पौराणिक कथा है
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कहा जाता है कि बट पेड़ के नीचे ही यमराज ने सत्यवान को जीवनदान दिया था यमराज ने सत्यवान को जेष्ठ माह के कृष्ण पक्ष के अमावस्या तिथि को जीवनदान दिया था.इसलिए इस दिन वट सावित्री की पूजा बनाई जाती है
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.वही मंदिर के पुजारी आचार्य निवास मिश्रा ने बताया कि सुहागिन स्त्रियां अपने पति की आयु के वृक्ष की आयु से भी ज्यादा होने की कामना के साथ वृक्ष को रक्षा स्वरूप बंधन से बांधते हैं.विवाहित महिलाएं अपने पति की रक्षा एवं संतान की प्राप्ति के लिए नए वस्त्र धारण कर बांस का बना पंखा,
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पांच प्रकार का पकवान मौसमी फल धूपबत्ती एवं अक्षत लेकर सुबह से ही पूजा-अर्चना करती नजर आई. उन्होंने बताया कि वट सावित्री की पूजा पुराने बरगद के पेड़ के नीचे मनाने की परंपरा है क्योंकि पेड़ जितना पुराना होगा पति की आयु उतनी ही बढ़ेगी.