
धनबाद : हर व्यक्ति को सम्मान, वित्तीय आजादी और सार्थक लक्ष्य के साथ जीवन जीने लिए अवसर पाने का अधिकार है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए फ्लिपकार्ट समर्पित कार्यक्रमों एवं समावेशी प्रक्रियाओं के माध्यम से दिव्यांगजनों को सार्थक अवसर देने के लिए प्रयासरत है। फ्लिपकार्ट ऐसे माहौल को बढ़ावा दे रहा है, जहां कर्मचारी अपनी वास्तविक प्रतिभा दिखाने में सक्षम हों। ऐसा करते हुए फ्लिपकार्ट व्यापक समावेश एवं सशक्तीकरण में योगदान दे रहा है।
अपने इकोसिस्टम के महत्वपूर्ण भाग के तौर पर 2000 से ज्यादा दिव्यांग कर्मचारियों के साथ फ्लिपकार्ट ने समावेशी कार्यस्थल की दिशा में उल्लेखनीय कदम उठाए हैं। पीडब्ल्यूडी हब (शारीरिक रूप से दिव्यांगजनों के लिए हब) स्थापित करना अयोग्यता पर योग्यता को वरीयता देने की फ्लिपकार्ट की प्रतिबद्धता को दिखाता है, जिससे ज्यादा समतामूलक एवं समावेशी भविष्य के निर्माण में मदद मिल रही है।
इस अंतरराष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस के मौके पर फ्लिपकार्ट ने कुछ ऐसे लोगों के उल्लेखनीय एवं प्रेरणादायी सफर को सबके सामने रखा है, जिन्होंने मुश्किलों को मात देते हुए अपने लिए आजादी एवं आत्मसम्मान का रास्ता तैयार किया है। सुनील कुमार, वेंकटेश और रविंदर जैसे डिलीवरी एक्जीक्यूटिव्स की इन प्रेरक कहानियों के माध्यम से हम फ्लिपकार्ट की विभिन्न पहल के प्रभाव को समझ सकते हैं।
सुनील कहते हैं, ‘मुझे फ्लिपकार्ट में सबसे ज्यादा यहां का समावेशी माहौल पसंद आता है, जहां मेरे टीम लीड एवं मैनेजर्स भी दिव्यांग हैं और अपनी मेहनत से उन्होंने यह मुकाम हासिल किया है। इससे मुझे उम्मीद है कि एक दिन मैं भी ऑफिस में रहकर काम करने वाली भूमिका तक पहुंच सकता हूं।’
21 साल के वेंकटेश कर्नाटक के एक अंदरूनी गांव संकेश्वर टांडा के रहने वाले हैं। पोलियो का शिकार होने के कारण उनके पास सीमित अवसर थे।
अभी बेंगलुरु में डिलीवरी पार्टनर के रूप में काम कर रहे वेंकटेश को फ्लिपकार्ट की तरफ से रहने की व्यवस्था मिली है, साथ ही एक वाहन भी दिया गया है।
रविंदर का सफर: उम्मीद और नई शुरुआत
40 साल के रविंदर झारखंड के अंबेरा गांव के रहने वाले हैं। वह कहते हैं, ‘जब तक मैं सक्षम हूं, यहां काम करता रहूंगा। फ्लिपकार्ट ने मेरे जीवन को उतना बेहतर कर दिया है, जितनी मैंने कभी उम्मीद नहीं की थी।’